षड्दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छिता ।
निद्रा तन्द्रा भयं क्रोधं आलस्यं दीर्घसूत्रता ।। { सुभाषित भाण्डागार ~ १६९-४४१ }
ऐश्वर्य व उन्नति चाहने वाले मनुष्य को इस संसार में इन छह दोषों का अवश्य परित्याग करना चाहिए । निद्रा, तन्द्रा (जागरूक न रहना), भय, क्रोध, आलस्य और दीर्घसूत्रता (कार्य को टालते रहना) ।
The person who wants to prosper must shun the six vices in this world. Sleeping, not being aware, fear, anger, laziness, and procrastination. { Subhaashita Bhandagaar ~ 169-441}
ऐश्वर्य व उन्नति चाहने वाले मनुष्य को इस संसार में इन छह दोषों का अवश्य परित्याग करना चाहिए (The person who wants to prosper must shun the six vices)
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