भाग्य और पुरुषार्थ (Fortune and Efforts)

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दैवे पुरुषकारे च खलु सर्वं प्रतिष्ठितम !
पूर्वजन्मकृतं कर्मेहाजितं तद द्विधा कृतम् !!
{ चाणक्य नीति ~ ०१-४० }

भाग्य और पुरुषार्थ, इन दोनों आधार-स्तंभों के ऊपर ही यह संपूर्ण जगत स्थित है! पूर्वजन्मों में किये गये कर्म "भाग्य" और इस जन्म में किये गये कर्म "पुरुषार्थ" के नाम से जाने जाते हैं! अतः भाग्य और पुरुषार्थ वस्तुतः एक ही हैं ! पुरुषार्थ से ही भाग्य का निर्माण होता है ! मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है !

Fortune and efforts are the two foundations of this world. The hard work done in previous births becomes Fortune and the hard work done in this birth are the efforts. Therefore Fortune and efforts are same. With hardwork one can make his fortunes. { Chaanakya Neeti ~ 01-40 }

 
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36solutions - July 29, 2008 at 8:35 PM

मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है

स्‍वागत

Surakh - July 29, 2008 at 8:40 PM

सच कह आपने
स्वागतम्

Amit Pachauri (अमित पचौरी) - July 29, 2008 at 10:02 PM

आपकी प्रोत्साहणपूर्ण टिप्पणीयों का सहर्ष धन्यवाद

Dr. Ravi Srivastava - July 30, 2008 at 11:59 AM

बहुत अच्छा लिखा है। आशा है आपकी कलम इसी तरह चलती रहेगी
और हमें अच्छी -अच्छी रचनाएं पढ़ने को मिलेंगे
बधाई स्वीकारें।
As an opportunity i saw your this creations. In real sense, I have no words to comments that you have written with just a good sense of literature and you used your words where they should be used.
Really i like it and desirous to get your all new creations.
...Ravi
http://meri-awaj.blogspot.com/
http://mere-khwabon-me.blogspot.com/

Anonymous - November 15, 2011 at 2:08 PM

very nyc

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